Gift deed in hindi

दानपत्र : संपत्ति हस्तांतरित करने का बेहतर तरीका

दानपत्र एक कानूनी दस्तावेज है। आप दानपत्र लिखकर अपनी चल या अचल संपत्ति को दूसरे को दान करते हैं।

ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 के तहत दानपत्र आप अपने करीबी नाते रिश्तेदारों या अन्य किसी को बिना किसी प्रतिफल (दान के बदले किसी धनराशि लेना या अन्य मूल्यवान वस्तु लेना) के संपति देते है, तो यह दान कहलाता है।

इस आर्टिकल में जिन विषयों में चर्चा होनी है:-

  • Donor और Donee कौन होते हैं
  • दानपत्र किस तरह से बनाया जा सकता है
  • दानपत्र बनाने के लिए किस-किस डॉक्यूमेंट की आवश्यकता होती है
  • दान डीड कैसे रजिस्टर्ड किया जाता है
  • दान के लिए कितने stamp Duty लगती है
  • किस तरह की संपत्ति को दान किया जा सकता है
  • क्या दानपत्र को कैंसिल या वापस लिया जा सकता है
  • दान से संबंधित टैक्स के क्या प्रावधान है
  • क्या वसीयत के बदले दानपत्र बनाना ज्यादा अच्छा है
  • हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न

Donor और Donee कौन होते हैं?
Donor वह होता है, जो संपत्ति ट्रांसफर करता है। कोई भी व्यक्ति जो स्वस्थ मस्तिष्क का है और कोई एग्रीमेंट करने के लिए सक्षम है तो वह डोनर हो सकता है। कोई अवयस्क Donor नहीं हो सकता है।
Donee वह होता है जो दान लेता है। एक अवयस्क यानी minor Donee हो सकता है, लेकिन ऐसा दान Donee के लीगल गार्डियन उसके बदले में लेते हैं। जब वह वयस्क हो जाता है तो वह दान को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है।
दानपत्र कैसे बनाया जाता है?
Step 1. आप स्टाम्प पेपर पर दानपत्र का प्रारूप ड्राफ्ट कर लें।
Step 2. दो गवाहों के साथ इसपर अपना हस्ताक्षर करें। अपने राज्य में निर्धारित मूल्य के स्टाम्प पेपर में इसे प्रिंट करें।
Step 3.दानपत्र को अपने ज़िला के रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड करायें।
दानपत्र के रजिस्ट्रेशन में जिन जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी-

  • दानपत्र
  • Id proof जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट
  • पैन कार्ड
  • आधार
  • प्रॉपर्टी के प्रूफ के लिए sale deed या अन्य कोई दस्तावेज
  • अन्य कागज़ात जो आवश्यकता अनुसार मांगा जाये।
  • stamp Duty

स्टाम्प ड्यूटी
सरकार किसी संपत्ति संबंधी लेनदेन में टैक्स लगती है। stamp इसे भुगतान का एक तरीका है।
दानपत्र में लगने वाले स्टैंप ड्यूटी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं। इसका भुगतान आप स्स्टाम्प पेपर खरीद कर या फिर ऑनलाइन कर सकते हैं। कुछ बड़े राज्यों में स्टैंप ड्यूटी के चार्ज से संबंधित विवरण निम्नलिखित है:-

राज्य स्टाम्प ड्यूटी
दिल्ली
  • संपत्ति के बाजार मूल्य का 4%महिला के लिए और 6%पुरुष के लिए,
  • पुरुष और महिला की संयुक्त संपत्ति में 5%
मुम्बई
  • कृषि और आवासीय भूमि में 100 रुपये,
  • अचल संपत्ति जो परिवार के किसी सदस्य को दान की जा रही है, संपत्ति के बाजार मूल्य का 3%, परिवार से बाहर दान करने में संपत्ति के बाजार मूल्य का 5%.
कोलकाता
  • रक्त सम्बंधी को दान करने में संपत्ति के बाजार मूल्य का 0.5%.
  • अन्य को दान करने में संपत्ति के बाजार मूल्य का 5% पंचायत क्षेत्र में, 6% शहरी, निगम क्षेत्र में
  • यदि संपत्ति के बाजार मूल्य का 40 लाख से अधिक है तो 1% अतिरिक्त लगता है, शहरी और ग्रामीण दोनी क्षेत्रों में
बैंगलोर
  • जब संपत्ति परिवार के सदस्यों के बाहर में दान की जा रही हो तो 5%संपत्ति के बाजार मूल्य का
  • जब संपत्ति परिवार के सदस्यों में दान की जा रही हो तो स्टाम्प ड्यूटी चार्ज निर्धारित है-

1.संपत्ति बेंगलुरु मेट्रोपॉलिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी या भूरट बेंगलुरु महानगरपालिका या सिटी कॉरपोरेशन में है तब चार्ज ₹5000

2. संपत्ति शहर या नगरपालिका परिषद या नगर पंचायत क्षेत्र में है तो चार्ज ₹3000

3. यदि अन्य जगह हो तब चार्ज ₹1000

हैदराबाद
  • जब परिवार के सदस्यों के बीच दान किया जा रहा हो तो संपत्ति के बाजार मूल्य का1%
  • अन्य में संपत्ति के बाजार मूल्य का 4%
चंडीगढ़ 6%संपत्ति के बाजार मूल्य का
जयपुर 5%संपत्ति के बाजार मूल्य का
चेन्नई
  • जब परिवार के सदस्यों के बीच दान किया जा रहा हो तो 1%संपत्ति के बाजार मूल्य का
  • अन्य में 5%संपत्ति के बाजार मूल्य का

स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान कैसे करें?
स्टैंप ड्यूटी भुगतान के 3 तरीके हैं जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति संबंधित राज्य सरकार को स्टैंप ड्यूटी का भुगतान कर सकता है।
स्टाम्प पेपर-
गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर लेनदेन करना, पंजीकृत प्राधिकारी को सीधे भुगतान करके संपत्ति प्राप्त करने का एक पारंपरिक तरीका है।इसमें दोनों पक्षों को कागज पर समझौता की शर्तों को लिखना होता है, और इसे हस्ताक्षर करना होता है। स्टाम्प vendor स्टाम्प लेनेवाले और लेनदेन के बारे में हर विवरणी रिकॉर्ड करता है। स्टाम्प पेपर के पीछे सभी विवरण का उल्लेख किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक स्टम्पिंग-
स्टम्पिंग को आसन बनाने के लिए सरकार ने e-stamping की शुरुआत की। इसका अर्थ ऑनलाइन स्टम्पिंग है। आप S.H.C.I.L.(स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के website में जाकर e-stamp प्राप्त कर सकते है।
फ्रैंकिंग
एक अन्य प्रक्रिया है । इसमें स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान अधिकृत बैंकों को किया जाता है, जिनके पास एक फ्रैंकिंग केंद्र होता है। यहां आपको पहले दस्तावेज को तैयार करना होता और फिर इसे अधिकृत केंद्र या बैंक में ले जाना होता है जो स्टैंप ड्यूटी के भुगतान को स्वीकार करता है। और इसे कानूनी रूप से देने के लिए कागज पर मुहर लगाई जाती है।
संपत्ति के प्रकार जिन्हें दान किया जा सकता है

  • चल और अचल संपत्ति (movable or immovable property)
  • जो संपत्ति अस्तित्व में है (existing property)
  • स्थान्तरित की जा सकने वाली (transferable property)
  • संपत्ति जो संपत्ति दिखाई दे (Tangible property)

दानपत्र को वापस लेना
एक बार दान डीड बनने और रजिस्टर्ड हो जाने और donee के द्वारा स्वीकार करने के बाद वैधानिक रीति से अब वह संपत्ति donee की हो जाती है और इसलिए इसे वापस या कैंसिल नहीं किया जा सकता है।
लेकिन, कुछ परिस्थितियों में इसे रद्द किया जा सकता है। जब Donor और Donee के बीच किसी घटना के होने या ना होने पर दानपत्र को कैंसिल या वापस करने पर सहमति हो और ऐसी घटना के ।होने पर donor का कोई नियंत्रण न हो।
साथ ही,सम्पति को लेकर निर्धारित परिस्थितियां अनैतिक, अवैधानिक नहीं होनी चाहिए।
यदि धोखे से, अनुचित प्रभाव में लेकर दानपत्र बनवाया गया हो,तो इसे रद्द किया जा सकता है।
दान से संबंधित टैक्स के प्रावधान
50000 से ज्यादा मूल्यवान संपत्ति दान में लेने में टैक्स लगता है। income tax act 1961, section 56(2)(x)
क्या वसीयत के बदले दानपत्र बनाना ज्यादा अच्छा है
दानपत्र और वसीयत का प्रयोग संपत्ति को ट्रांसफर करने के लिए होता है।
जहां वसीयत, वसीयत कर्ता के मृत्यु के बाद काम में आता है। वही दानपत्र दान करने वाले के जीवन काल में ही संपत्ति दान पाने वालों को मिल जाता है।
वसीयत में यह सुविधा है कि इसे बनाने के बाद आप कितनी बार भी इसे बदल सकते है।
वसीयत को रजिस्टर करने की आवश्यकता नहीं है।
जबकि, दानपत्र एक बार रजिस्टर्ड हो जाता है तो उसे वापस या बदला नहीं जा सकता है। यह उन मामलों में ज्यादा लाभदायक है, जहां पर किसी व्यक्ति को डर होता है कि उसके मृत्यु के बाद उनके परिवार के सदस्यों के बीच प्रॉपर्टी को लेकर तनाव बना रहेगा। इसलिए सुविधाजनक होता है कि दानपत्र बनाकर संपत्ति को अपने चाहतों के बीच बांट दिया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी पारिवारिक कलह या कानूनी विवाद न हो,क्योंकि दानपत्र रजिस्टर्ड होता है, जो संपत्ति हस्तांतरण का एक कानूनी सबूत होता है।
हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या अवयस्क donee हो सकता है?
हाँ,
Sale deed से दानपत्र कैसे अलग होता है?
Sale deed में पैसों का लेन देन होता है। दानपत्र बिना किसी लेनदेन के होते है।
क्या दान में पैसे का कोई लेन-देन हो सकता है?
नहीं,
क्या दानपत्र को रजिस्टर कराना आवश्यक है?
हाँ,
क्या दान को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
हाँ,
दानपत्र को कौन चैलेंज कर सकता है?
Donor और Donee दोनों, और इनके मृत्यु के बाद इनके वारिस
दानपत्र वापस लिया जा सकता है?
दानपत्र के रजिस्ट्रेशन और इसके donee द्वारा स्वीकार कर लिए जाने के बाद इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। लेकिन, यदि दानपत्र धोखे से या गलत तरीके से बनाया गया है तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
क्या होगा जब Donee दान स्वीकार नहीं करें?
दानपत्र अमान्य हो जायेगी।
क्या Donor दान में दी हुई संपत्ति को वापस ले सकता है?
नहीं,
क्या दानपत्र कानूनी दस्तावेज है?
हाँ,
दान के साथ टैक्स का क्या प्रभाव होता है?
50000 से अधिक की संपत्ति में टैक्स लगता है।
क्या donee को दान लेने के बाद स्टाम्प ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है?
हाँ,
क्या दानपत्र से प्राप्त संपत्ति बेची जा सकती है?
हाँ

यह लेख विषय की जानकारी देने के लिए लिखी गई है। यह विधिक सलाह नहीं है। कृपया किसी निर्णय लेने से पहले अपने विधिक सलाहकार से संपर्क करें।
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