law on arrest in india

Law on the arrest: यूं ही गिरफ्तार नहीं किया जा सकता,जाने क्या है कानून

इस article में law of arrest को बताया गया है,जिसे हर नागरिक को जानना चाहिए। Arrest को लेकर supreme court ने क्या guideline दिये है,आपके क्या अधिकार है, policeको arrest के समय क्या प्रक्रिया को अपनानी होगी, के बारे में detail से बताया गया है।

Police को ground of arrest बताना होगा

यदि पुलिस arrest करती है तो उन्हें आपको बताना होगा कि आपको किस कारण से arrest कर रही है।

पुलिस के पास आपके खिलाफ़ warrant हो सकता है, तब भी पुलिस को बताना होगा कि आपको क्यों arrest किया जा रहा है

जहाँ पुलिस को arrest करने के लिए warrant की ज़रूरत नहीं है, यदि police कहती है कि आपने संगीन अपराध किया है, तब भी पुलिस को arrest का कारण बताना होगा।

केवल संदेह के आधार पर arrest नहीं किया जा सकता

Arrest को लेकर supreme court ने कई Guidelines दिये है- Police को क्या क्या करना है। अभियुक्त के क्या क्या अधिकार है।

जोगेन्दर कुमार v. स्टेट ऑफ उत्तर प्रदेश  में supreme court ने कहा है कि पुलिस के पास किसी की गिरफ़्तारी का justification होना चाहिए। बड़े Routine manner में किसी को arrest नहीं किया जा सकता। FIR lodge होने और inquiry के बाद यदि complain genuine है, तभी arrest किया जा सकता है। केवल संदेह के आधार पर किसी को arrest नहीं किया जा सकता।

D.k. Basu v. state of west Bengal में supreme court ने arrest को लेकर detail guideline दी हैं।

जो police officer आपको arrest कर रहा है, उसका नाम और पद नाम उसकी वर्दी में लिखा होना चाहिए।

Memo of arrest बनाना

Arrest करने के बाद Police एक memo of arrest बनायेगी

इस memo of arrest में आपको interrogate और arrest करने वाले police officer का नाम, पद नाम आपका detail, किसी कारण से, क्यों, कहाँ, कब arrest किया गया, सारा detail भरा जायेगा। साथ ही एक स्वतंत्र गवाह जो आपके परिवार के सदस्य हो सकते है,या फिर आपके दोस्त का counter signature इस memo of arrest में अनिवार्य रूप से लिया जायेगा।

Information to family members

Police की यह duty है कि arrest करने के 12 घंटे के अंदर आपके family या friend या relative को आपकी arrest के बारे में सूचना दे दें। क्यों ,कहाँ, कब arrest किया गया, कहाँ रखा गया है। यह सूचना telephone से भी दी जा सकती है।

24 घंटे के भीतर Magistrate के समक्ष पेश करना

Police की यह duty है कि arrest करने के 24 घंटो के भीतर आपको नज़दीक के magistrate के सामने पेश करें। पेशी के बाद दो बातें हो सकती है- या तो magistrate आपको bail दे सकता है या फिर आपको वापस निश्चित समय के लिए police custody में भेज सकता है। क़ानूनन अधिकतम 90 दिनों तक police custody में भेजा जा सकता है।

Medical Examination और inspection memo बनाना

जब भी arrest किया जाता है, आप medical check-up के लिए कह सकते है।

आपके शरीर में जो भी minor या major चोट है उसका inspection करवा सकते है।

एक inspection memo बनाया जाएगा। इसमें लिखा जाएगा कि आपको कहाँ कहाँ चोंटे आईं है, कितनी गहरी चोंटे आई है, detail में लिखा जाएगा।

यह तय करने के लिए यह ज़रूरी है कि जब आपको arrest किया गया था तो आपके शरीर में कहाँ कहाँ चोंटे थी।

यदि arrest करते समय आपका inspection memo नहीं भी बना है तो law यह है कि आपका हर 48 घटें में medical examinations होना चाहिए।

यह examination आपके ज़िले के Doctor के एक पैनल द्वारा किया जायेगा।

यह examination आपको bail में भी मदद करेगा। यदि आप बीमार है तो आपको jail में नहीं रखा जा सकता।

Information sharing to the police control room

जब भी किसी को arrest किया जाता है तो इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दी जाती है। और police control room इसे public place में display करती है। ताकि कोई भी देख सके किसे,किस कारण से, कब, कहां arrest किया गया है।

Arrest of woman

यदि किसी महिला को अरेस्ट किया जा रहा है तो यह जरूरी है कि कोई महिला पुलिस पदाधिकारी ही arrest करें।

साथ ही, यदि किसी महिला को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले arrest करन ा आवश्यक है तो local magistrate के special permission से ही arrest किया जा सकता है।

Arrest of child

यदि किसी बच्चे या 18 वर्ष से कम के बालक को arrests करन ा है तो यह साफ साफ निर्देश है कि किसी भी तरह का force या ज़बरदस्ती न हो।

Sum up

Police को ground of arrest बताना होगा

केवल संदेह के आधार पर arrest नहीं किया जा सकता

Memo of arrest बनाना

Information to family members

Medical Examination और inspection memo बनाना

24 घंटे के भीतर Magistrate के समक्ष पेश करना

Information sharing

आपका arrest होना इस बात का सबूत नहीं है कि आपने अपराध किया है या फिर नहीं किया है।

आपकी personal dignity क े लिए यह जरूरी है कि आप जाने कि आपके क्या अधिकार है। पुलिस किस हद तक जा सकती है।

अपने अपराध किया है या नहीं इसका निर्धारण तो कोर्ट करती है।

चूंकि लोगों को अपने अधिकार की जानकारी नहीं होती है, इसलिए लोग इसका use नहीं कर पते, और पुलिस भी इसे follow नहीं करती।

 

 

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