यदि आप वसीयत नहीं बनाते हैं तो आप के बाद आप की संपत्ति का विभाजन और वितरण उत्तराधिकार के नियमों के तहत होगा न की आप की पसंद के हिसाब से।
कानून यह नहीं जानता कि आप अपने छोटे पुत्र के लिए अपने डाक टिकट का संग्रह छोड़ना चाहते थे या आप अपनी बेटी को अपने सभी गहने देना चाहते थे। चाहे परिवार के व्यवसाय हो या कलाकृतियों का क्लासिकल संग्रह या फिर आप की बचत आपको यह निर्णय करना चाहिए कि आपके निधन के बाद कौन आपकी संपत्ति प्राप्त करेगा न की देश का सामान्य कानून। इन कानूनों में उन लोगों को शामिल नहीं किया गया है जो आपके सगे संबंधी नहीं है , जैसे आपके करीबी दोस्त या नौकर चाकर संरक्षक चर्च गुरुद्वारा मठ या गैरसरकारी संगठन इत्यादि। वसीयत बनाकर आप अपने पीछे प्रियजनों के लिए विरासत छोड़ सकते |
वसीयत उत्तराधिकार कानून में अपने अनुसार संशोधन करने का एक मौका देता है
वसीयत आपकी संपत्ति के निपटान की सबसे प्रभावी सबसे प्रभावी तरीका है।
वसीयत अपने मृत्यु के बाद संपत्ति का प्रबंधन करने की एक व्यवस्था है कि आपके बाद आप की संपत्ति या जायदाद का क्या होगा ,किसे मिलेगा ,किसे नहीं मिलेगा और कितना मिलेगा इत्यादि ,ताकि संपत्ति का वितरण आप की वाारिशों के बीच आपकी इच्छा से हो ।
आप के निधन के बाद कोई अन्य फैसला क्यों करें कि आप की संपत्ति को कैसे वितरित किए जाये
यदि आप वसीयत नही बनाते है तो आप की संपत्ति सामान्य कानूनों के अनुसार वितरित की जाती है यदि आप हिंदू हैं तो हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार ,यदि मुस्लिम है तो शरीयत के अनुसार और ईसाई है तो भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार यानि आप पे लागू होने वाला पारिवारिक विधि के अनुसार।
अब आप प्रश्न हो सकता है कि जब परिवारिक विधि के अंतर्गत संपत्ति का बंटवारा हो जाएगा तो वसीयत बनाने की क्या आवश्यकता है?
मान लेते हैं कि आप डाक टिकट संग्रह करने का शौक रखते है, आप अपने जीवन काल में काफी परिश्रम और पैसा खर्च करके डाक टिकट जमा किये है और बड़े सहज कर उसे सुरक्षित रखे है। हीरा को तो जौहरी ही पहचान सकता है और यह टिकट की हिफाजत आप के बाद वही कर सकता है जो इसकी कीमत समझता है । हो सकता है कि आपका सबका छोटा लड़का चीजों को संभालकर रखता है तो आप वसीयत बनाकर सारी डाक टिकट छोटे लड़के को दे सकते हैं। हो सकता है आपके परिवार में कोई सदस्य ऐसा नहीं है जो आपकी भावना को सम्मान करें तो फिर आप वसीयत बनाकर सभी डाक टिकट किसी गैर सरकारी संस्थाओं /संगठनो को देे सकते हैं जो इसकी हिफाज़त करे। ऐसा सिर्फ वसीयत बनाकर ही कर सकते हैं ।यदि आप वसीयत नहीं बनाते हैं तो हो सकता है कि यह डाक टिकट आपके बारिशों के बीच बराबर बराबर बांट दिया जाए और वो इसकी कद्र न करें ।
आप वसीयत बनाकर ही अपनी संपत्ति के बारे में विशेष व्यवस्था कर सकते है और अन्य कोई तरीका नहीं है

हो सकता है आपके परिवार मे किसीं सदस्य की स्पेशल कंडीशन हो जैसे परिवार का कोई सदस्य दिव्यांग हो या परिवार में बेटी या बहू विधवा हो या परित्यक्ता हो। आपका कोई बेटा या बेटी आपका बहुत ख्याल रखता आप चाहेंगे कि आप ऐसे सदस्यों के लिए कुछ अलग से व्यवस्था करें ऐसा आप वसीयत बनाकर ही कर सकते ।
हो सकता है आपके रिश्तेदार आपके बुढ़ापे में जरा भी ख्याल नहीं रखें। या आपकी पत्नी बेवफा (जार) है आप चाहेंगे की आप उन्हें कुछ भी न दे , ऐसा वसीयत बनाकर ही कर सकते हैं । यदि आप वसीयत नहीं बनाएंगे तो उन्हें भी उनका हिस्सा आपके बाद बराबर मिलेगा, इसलिए यदि आप विशेष व्यवस्था करना चाहते हैं तो वसीयत जरूर बनाये।
आपका नौकर आजीवन आपकी सेवा किया है। अब आप चाहते हैं कि आप अपनी संपत्ति में नौकर को भी कुछ हिस्सा दे ।ऐसा वसीयत बनकर ही कर सकते । वसीयत के बिना सम्पति का बँटवारा पारिवारिक विधि के अनुसार होगा और नौकर को कुछ भी नही मिलेगा। इसप्रकार वसीयत बना कर ही आप अपने सम्पति के वितरण की विशेष व्यवस्था कर सकते है।
अधिकांश लोगों का मानना है कि जिन लोगों के पास बहुत धन-दौलत होते हैं उन्हें वसीयत बनाने की जरूरत होती है । ऐसा नहीं है भारत में लाखों मुकदमे ऐसे हैं ऐसे हैं जिसमे संपत्ति का मूल्य ₹100000 से भी कम है और उच्च न्यायालयों में 70% मुकदमें संपत्ति से जुड़े रहते है।
एक दूसरी धारणा है कि आपको बीमारी या बड़े होने पर केवल एक वसीयत लिखने की जरूरत है क्योंकि लोग केवल बीमारियां बुढ़ापे की वजह से ही मरते है। वसीयत लिखने के लिए कोई सही या गलत उम्र नहीं है आपको जीवन में यथाशीघ्र वसीयत लिखनी चाहिए, क्योंकि जीवन अनिश्चित है।
अगर आप निर्वासित मर जाते हैं तो आप की संपत्ति आपके परिवार के सदस्यों के बीच विवाद का मूल कारण हो सकती है
यह विवाद आपके परिवार को तोड़ सकते हैं । संपत्ति का एक स्पष्ट विभाजन करके आप परिवार के मजबूत सदस्य को कामजोर सदस्यों पर हावी होने से रोक सकते है।
आप केवल वसीयत के माध्यम से एक वैधानिक अभिभावक को नियुक्त कर सकते हैं
आप अपने बच्चों के वयस्क होने से पहले मर जाते हैं तो उचित अभिभावक न होने के कारण उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। अन्यथा अदालत उन अभिभावकों को नियुक्त करती है जो कानून के अनुसार हैं ।आप अपनी इच्छा के अनुसार एक विश्वसनीय व्यक्ति को एक अभिभावक के रूप में नियुक्त करके आप प्राकृतिक अभिभावकों का अपने बच्चों पर नियंत्रण भी रोक सकते है। वसीयत बनाकर आप अव्यस्क बच्चों के लिए संरक्षक (testamentory guardian) रख सकते है। जब बच्चा नाबालिक होता है -18 वर्ष से कम उम्र का- तो विरासत को केवल स्थान्तरित किया जा सकता है , सीधे प्राप्त नहीं किया जा सकता है ।जैसे जब एक नाबालिग बच्चों को लाभार्थी बना दिया जाता है तो उसे 18 साल की आयु प्राप्त होने के बाद ही इसका लाभ मिलता है।
वसीयत होने से लंबी कानूनी प्रक्रिया से मुक्ति मिलती है
वसीयत होने पर प्रोबेट प्रक्रिया कम हो जाती है। प्रोबेट एक कानूनी प्रक्रिया है जहां कानून की अदालत में वसीयत की प्रमाणिकता साबित होती है। इस तथ्य के बावजूद कि आपने वसीयत तैयार की है या नहीं आपकी संपत्ति को प्रोबेट की प्रक्रिया से गुजरना होता है।वसीयत होनेे से यह सुनिश्चित होता है कि प्रक्रिया कम समय में पूरी हो जाती है।
निष्पादक चुनने का अवसर
वसीयत बनाकर आप अपने पसंद का निष्पादक रख सकते हैं जो आप की संपत्ति को आपकी इच्छा के अनुसार आपके वारिशों के बीच बाटेंगा। यदि आप एक निष्पादक नियुक्त नहीं करते हैं तो कोर्ट यह काम करेगा। वसीयत के माध्यम से आप एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में आपको एक निष्पादक सुनने का अवसर मिलता है जो आप के हितों का ख्याल रखेगा।