वसीयतकर्त्ता की मृत्यु के बाद कौन कहेगा कि जो वसीयत बनाया गया है उसमें वसीयतकर्त्ता का ही हस्ताक्षर है। ऐसे कई मामले आये है जिसमें मृत व्यक्ति के अंगूठे का निशान लेकर वसीयत बनाया गया हैं।
इसलिए वसीयत में कम से कम 2 गवाहों का हस्ताक्षर होना चाहिए। यहां दो गवाहों का मतलब यह नहीं है कि सिर्फ दो गवाह, दो से अधिक गवाहों के द्वारा भी वसीयत सत्यापित कराया जा सकता है। यह जरूरी नहीं है कि गवाह वसीयत के बारे में जाने (किसे क्या दिया गया है),सिर्फ उन्हें आपके हस्ताक्षर को सत्यापित करना है। भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 में सत्यापन (Attestation) शब्द का प्रयोग किया गया है न कि हस्ताक्षर (signature) का। इसका मतलब यह है कि वसीयतकर्त्ता के हस्ताक्षर को गवाहों द्वारा हस्ताक्षर करके सत्यापित (attest) करना है सिर्फ हस्ताक्षर नहीं। यानी यह प्रमाणित करना है कि वसीयतकर्त्ता के ही हस्ताक्षर हैं और उन्होंने उनके सामने इसे हस्ताक्षर किया है।
यह भी जरूरी नहीं है कि दोनों गवाह एक ही समय मौजूद हो, यह सिर्फ वांछनीय है कि दोनों एक ही समय उपस्थित रहे।
गवाह किसे बनाये
गवाह आपसे उम्र में छोटे हो गवाह किसी भी वयस्क स्त्री या पुरुष को बनाया जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि गवाह आपसे उम्र में छोटे हो, स्वस्थ हो और विश्वासी हो और जो आपके वसीयत में हस्ताक्षर करने को तैयार हो। साथ ही वे वसीयत के पंजीकरण और निष्पादन के समय मौजूद रह सके।
साधारणतया हम लोग हमउम्र दोस्तों को गवाह बनाते हैं लेकिन कोशिश यह होनी चाहिए कि गवाह आपसे उम्र में छोटा हो, ताकि जब वसीयत को चुनौती दे दी जाए और आप इस दुनिया में न हो तो वह कोर्ट में जाकर यह बता सके की वसीयत में आपका ही हस्ताक्षर है, आप एक अच्छे शारीरिक और मानसिक स्थिति में वसीयत बनाए हैं और यह वसीयत आपकी इच्छा की अभिव्यक्ति है। वसीयत बनाते समय आप वहां थे और आपके ही सामने वसीयतकर्त्ता ने वसीयत पर हस्ताक्षर किया था और उसके बाद अपने हस्ताक्षर किये थे।
कोशिश करें कि परिवार के सदस्यों को गवाह न बनाए।
किसी लाभार्थी को गवाह न बनाये। गवाह पूर्णतया स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए और उन्हें वसीयत में कुछ भी नहीं मिलना चाहिए और उनके किसी संबंधी को भी कुछ नहीं मिलना चाहिए, नहीं तो यह conflict of interest का मामला होगा,और कोर्ट वसीयत को अवैध घोषित कर सकता है।
कोई एक गवाह medical background का हो
हां, यह अच्छा होगा कि दो में से एक गवाह मेडिकल पृष्टभूमि के हो क्योंकि वह प्रमाणित कर सकता है की वसीयतकर्त्ता अच्छे मानसिक स्थिति में था और वसीयत बनाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम था।
Executor को भी गवाह बनाया जा सकता है।
यह सलाह दी जाती है कि वह वसीयत बनाने के 1-2 साल बाद गवाहों से शपथ पत्र ले लेना चाहिए कि “ हां ! हम उस दिन वहां थे और वसीयतकर्त्ता ने हमारे उपस्थिति में वसीयत में हस्ताक्षर किया था। ” इसका कारण यह है की यदि इसमें से (गवाहों में से ) कोई एक नहीं रहता है तो यह शपथ पत्र काम आएगा।