कोडपत्र कैसे बनाये
वसीयत की ही तरह कोडपत्र बनाया जाता है। इसे भी हस्ताक्षरित दिनांकित और साक्षी की उपस्थिति में बनाया गया होना चाहिए। एक सामान्य नियम के रूप में अगर आप जो बदलाव करना चाहते हैं वह मामूली बदलाव है तो आप कोडपत्र बनाकर कर सकते हैं लेकिन यह बदलाव अधिक महत्वपूर्ण है तो आप नयी वसीयत बना सकते है।
वसीयत बनाने के बाद यदि कोई सुधार करना हो तो पूरा वसीयत न बना कर कोडपत्र (codicil) बनाकर सुधार किया जा सकता है। जैसे वसीयत बनाने के बाद यदि वसीयतकर्त्ता को लगता है कि कुछ धन मंदिर या अन्य धार्मिक संस्था को देना है तो नया वसीयत न बनाकर कोडपत्र (codicil) बनाकर इसे किया जा सकता है। इसी तरह निष्पादक (वसीयतकर्त्ता की मृत्यु के बाद उसके वसीयत के अनुसार संपत्ति का बंटवारा करने वाला ) की मृत्यु हो जाती है तो नये निष्पादक को कोडपत्र बनाकर रखा जा सकता है।
आपको अपनी वसीयत को हर समय अद्यतन रखना चाहिए। यदि जीवनकाल में आपके कानूनी उत्तराधिकारियों या लाभार्थियों में परिवर्तन होता है तो आपको वसीयत को संशोधित करना चाहिए। यदि आप जीवन की प्रमुख घटनाओं के बाद अपनी वसीयत को अद्यतन नहीं करते हैं तो इस नयी परिस्थितियों में आप इच्छाओं को प्रकट नहीं कर रहे है। इसलिए ऐसे परिवर्तनों के बाद वसीयत में आवश्यक संशोधन करना चाहिए।
पहला- विवाह एक बार विवाह होने के बाद वसीयत की समीक्षा करनी चाहिए। यदि आप अपनी वसीयत में अपनी पत्नी का नाम जोड़ते हैं तो आपके संपत्ति का विभाजन प्रतिशत बदल सकता है। अपनी शादी के बाद यदि आप अपने पति के साथ अपनी संपत्ति साझा करना चाहती है तो वह आपकी वसीयत में उसी के अनुसार प्रतिबिंबित होना चाहिए।
दूसरा- तलाक जिस तरह से विवाह के बाद वसीयत में बदलाव आवश्यक है उसी प्रकार तलाक के बाद भी। जैसे आपका पति आपकी संपत्ति में हिस्सा ले रहा था और अब आप उनसे साझा नहीं करना चाहती है। आप स्पष्ट कर सकती है कि आप अपने पति के लिए क्या छोड़ना चाहती है या तलाक के बाद अपनी संपत्ति कैसे बाँटना चाहती है।
तीसरा- एक नई संतान आप अपनी संतान के जन्म के बाद या बच्चे को गोद लेने के बाद अपनी संपत्ति के वितरण को बदलना चाहिए।
चौथा- कानूनी उत्तराधिकारियों/लाभार्थियों के बारे में मन परिवर्तन यदि किसी समय आप को अपने कानूनी उत्तराधिकारियों के बारे में मन में परिवर्तन होता है तो आपको वसीयत में भी उसे शामिल करना चाहिए।
पांचवा- संपत्ति का अधिग्रहण या निपटान जब भी आप किसी सम्पति का अधिग्रहण करते है या किसी संपत्ति का निपटान करते है तो वसीयत में संशोधन करना चाहिए।
छठा- निष्पादक में बदलाव यदि निष्पादक बीमार हो जाए या मृत्यु हो जाए या आप निष्पादक को बदलना चाहते है,तो आपको वसीयत में बदलाव करना चाहिए।
जिस तरह वसीयत को रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता नहीं है उसी तरह codicil को भी रजिस्टर्ड करने की आवश्यकता नहीं है। और वसीयत की तरह कोडपत्र में भी कभी भी संशोधन किया जा सकता है। आप अपने मृत्युशय्या (deathbed)से भी वसीयत और कोडपत्र को बदल सकते है।