महिलाओं को भारत में बहुत से अधिकार दिए गए हैं, जिसकी उनको जानकारी होनी चाहिये। इस article में 10 अधिकारों के बारें में बताया गया है,जिसे हर महिला को पता होना चाहिए-
1) Right to Free legal aid
महिलाओं को नि:शुल्क कानूनी सहायता पाने का अधिकार है।
जब कोई महिला थाना जाती है तो उसके बयान को या तो अनदेखा किया जाता है या गलत तरीके से लिया जाता हैं या उसे अपमानित किया जाता है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप थाना प्रभारी को बताएं कि आपके पास नि:शुल्क कानूनी सेवा का अधिकार है।
यदि थाना प्रभारी आपकी complain न लिखें तो आप SP के पास complain कर सकती हैं,यदि यहां भी सुनवाई न हो तो सीधा कोर्ट में आप complain कर सकते हैं।
2) Right to privacy
यदि किसी महिला के साथ कोई जघन्य अपराध जैसे रेप,छेडछाड,हुआ है,तो उसे अधिकार है कि वह सीधे बिना किसी सुनवाई के निजी तौर पर जज के पास जाकर अपना बयान दर्ज करायें।
उसे police के पास जाकर ,महिला constable के साथ crpc की धारा 164 में बयान दर्ज कराने का भी अधिकार है।
police की यह ड्यूटी होगी की महिला का नाम गुप्त रखा जायें।
3) Right to untimely Registration
महिला कभी भी अपने शिकायत दर्ज करा सकती है,चाहे कितनी भी देर हो गई हो। देर होने के कई कारण हो सकते है जैसे महिला डरी हूई हो या उसे अपराधी से जान का खतरा हो, परिवार की प्रतिष्ठा आदि।
पुलिस शिकायत दर्ज करने से इंकार नहीं कर सकती।
4) Right to virtual complaint
महिला Registered post या email से भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है। post या email से महिला Dc या sp स्तर के officer को शिकायत भेज सकती हैं।
इसके बाद इसे संबंधीत थाने में भेज दिया जाता है। police जरुरत पड़ने पर महिला के घर जाकर बयान दर्ज कर सकती है।
5) Right to zero FIR
रेप जैसे जघन्य अपराध के मामले में महिला किसी भी थाने में शिकायत दर्ज कर सकती हैं। फिर police पदाधिकार उस FIR को जिस थाने क्षेत्र से संबंधीत घटना होती है,उस थाने में FIR transfer कर देता है।
6) Right to no arrest
किसी भी महिला को सुर्यस्थ के बाद और सूर्योदय के पूर्व arrest नहीं किया जा सकता। यदि महिला ने कोई जघन्य अपराध किया है और arrest करना बहुत ज़रूरी हो तो magistrate के लिखित आदेश से arrest किया जा सकता हैं।
7) Right to not being called to the police station
किसी महिला को पूछताछ के लिये police station में नहीं बुलाया जा सकता।
पुलिस Crpc की धारा 160 के तहत पूछताछ के लिए महिला को पुलिस स्टेशन नहीं बुला सकती।
कानूनन पूछताछ के लिए महिला कॉन्स्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की उपस्थिति में महिला से उसके घर पर ही पूछताछ कर सकती है।
8) Right to confidentiality
किसी भी परिस्थिति में बलात्कार पीड़ित की पहचान को उजागर नहीं किया जा सकता है न तो पुलिस और न तो मीडिया।
किसी भी तरह पीड़िता का पहचान उजागर करना भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के तहत दंडनीये अपराध है।
High court या supreme court में भी निर्णयों में पीड़िता ही लिखा जाता है न की नाम।
9) Right towards crime and not a medical condition
एक महिला को इंसाफ पाने का अधिकार है और इसके लिए मेडिकल सर्टिफिकेट जरूरी शर्त नहीं है। बलात्कार का मामला खारिज नहीं हो सकता चाहे डॉक्टर कहता है कि बलात्कार नहीं हुआ है
Crpc की धारा 164A के तहत बलात्कार पीड़िता का सबसे पहले मेडिकल जांच होनी चाहिए और इसकी रिपोर्ट सबूत के तौर पर दिखा सकते हैं। पीड़ित महिला को डॉक्टर द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट की एक कॉपी रखने का अधिकार है।
बलात्कार एक अपराध है,न की कोई medical condition। डॉक्टर बलात्कार के मामले में सिर्फ यह बयान दे सकता है, कि हाल ही में पीड़िता के साथ यौन गतिविधि हुई है। चाहे बलात्कार हुआ हो या नहीं, वह कानूनी निष्कर्ष पर फैसला नहीं कर सकता।
10) Right to no sexual harassment
सभी employer का यह कर्तव्य है कि अपने organisation में sexual harassment complaint comittee बनाये।
सरकारी और निजी दोनों तरह के organisations को इस तरह की committee बनानी है।
इसकी अध्यक्ष एक महिला होनी चाहिए और 50% सदस्य भी महिला होनी चाहिए।
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