How to make a Will

21 बातें जो वसीयत बनाते समय ध्यान रखनी चाहिए

कानून में वसीयत बनाने के लिए कोई निश्चित  प्रपत्र नहीं दिया गया है ,इसे एक सादे कागज में भी बनाया जा सकता है । स्टाम्प पेपर की भी आवश्यकता नही है। रजिस्ट्रेशन की भी आवश्यकता नहीं है । सरकार भी चाहती है कि हर नागरिक अपनी वसीयत बनाये ताकि परिवारिक झगड़े और समस्याएं  आदि कम हो । इस आर्टिकल में 21 बातों को बताया गया है जो वसीयत बनाते समय ध्यान रखना चाहिए।

1  वसीयत अपने हाथ से अपनी  भाषा  लिपि में बनाये ।

यदि आप खुद वसीयत नहीं लिख सकते तो   किसी अच्छे वकील से बनवाये । लेकिन यदि आप अपने हाथों से अपने हैंडराइटिंग में वसीयत बनाते हैं तो विवाद  होने पर कोई यह चैलेंज नहीं कर सकता है कि कोई पेज बदल दी गई है या बाद में टाइप किया गया है क्योंकि हैंडराइटिंग एक्सपर्ट इसे तुरंत सत्यापित कर देगा की वसीयत आपने ही बनाया है। हर पेज में हस्ताक्षर नीली स्याही के कलम से करें।

2  कोशिश करें कि एक पेज में ही आपका वसीयत बन जाए

यदि एक से अधिक पेज लगता है तो हर पेज में पेज नंबर जरूर डालें जैसे 1 of 5  , 2 of 5 ताकि कोई इसे बदल न  सके। वसीयत साफ सुथरा हो, कहीं भी कटिंग न हो। यदि किसी पेज में कोई गलती हुई है उसे सुधार कर वहां अपना हस्ताक्षर जरूर बना दे और दो गवाहों से सत्यापित करवा ले , या बेहतर होगा उसके जगह नया पेज जोड़ दे। वसीयतकर्ता और गवाहों का हस्ताक्षर वसीयत  के हर पन्ने पर होना चाहिए।

3 वसीयत में निजी जानकारी पूरी तरह से दें जैसे-  जो नाम आपके आधार कार्ड,  चुनाव पहचान पत्र ,पैन कार्ड इत्यादि में हो वही कानूनी नाम को वसीयत में लिखना चाहिए । जैसे, मेरा नाम राज कुमार शर्मा है और यह नाम मेरे आधार कार्ड,  चुनाव पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि में है। यदि मैं वसीयत में राज कुमार शर्मा न लिखकर राज शर्मा लिखता हूं तो यह विवाद का विषय हो सकता है। इसी तरह से अन्य निजी जानकारी जैसे उम्र संबंधी, स्थाई पता, आदि आधार कार्ड या अन्य सरकारी दस्तावेजों पर अंकित जानकारी के अनुसार ही देनी चाहिए । आपको उन व्यक्तियों का भी पूर्ण नाम और विवरण का उल्लेख करना चाहिए जिनको आप अपनी संपत्ति देना चाहते हैं।

4  जब वसीयत बनाएं  उसमें  यह जरूर लिखें कि  यह आपका अंतिम वसीयत है  और पहले जो भी वसीयत  या  कोडपत्र (codicil) बनाया गया है, उसे मैं इस वसीयत के द्वारा वापस करता हूं या खारिज करता हूँ। इसके बाद स्वघोषणा लिखे की आप वसीयत बनाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से सक्षम है ,और बिना किसी दबाव , अनुचित प्रभाव के वसीयत बना रहे है।

5  वसीयत में संपत्ति का फोटो अटैच करें । मान लेते है की यदि आपके पास दो हार  है तो एक हार जो मोती और सोने का है आप चाहते है कि वह आपकी बेटी A को मिले और जो दूसरा हार  जो हीरे और सोने का है वह आप दूसरी बेटी B को देना चाहते है। आप वसीयत में स्पष्ट लिख सकते है और  दोनों हारों की तस्वीर वसीयत में अटैच कर सकते है। इससे कोई दुविधा नही होगी कि कौन सा हार किसे मिलना है।

6 वसीयत में अपनी संपत्ति का विस्तृत विवरण दें जैसे बैंक अकाउंट के बारे में जिक्र हो रहा है तो बैंक अकाउंट नंबर किस बैंक में अकाउंट है वह स्पष्ट होना चाहिए। इसी तरह से म्यूच्यूअल फंड के मामले में  फण्ड का नाम ,फोलियो नंबर आदि दिया जाना चाहिए। शेयर के मामले में डीमैट अकाउंट नंबर ,स्टॉक का नाम ,स्टॉक की संख्या आदि दिया जाना चाहिए। इसी तरह बीमा पॉलिसी के मामले से पॉलिसी नंबर ,पॉलिसी का नाम इत्यादि दिया जाना चाहिए। मकान के मामले में फ्लैट नंबर, मकान नंबर इत्यादि का उल्लेख होना चाहिए। जमीन के मामले में खाता, प्लॉट ,रकबा लिखा होना चाहिए। नक्शा भी अटैच किया जा सकता है। पहचान के लिए पैन नंबर ,आधार नंबर , चुनाव पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस आदि  का उल्लेख करना चाहिए ।

7 वसीयत बैलेंस शीट की तरह होनी चाहिए। वसीयत बनाने से पहले आप  अपने सभी चल-अचल ,देश में -विदेश में पड़ी संपत्ति की  एक सूची बना ले। हर लाभार्थी (पहचान के लिए सरकार द्वारा जारी ID proof का विवरण दिया जा सकता है) के साथ अपना रिश्ता स्पष्ट करते हुए लिखे की किसे क्या दे रहे है। जैसे मैं लैपटॉप—-A—-को देता हूँ, बैंक अकॉउंट —-B—को देता हूँ,फ्लैट —-C—को देता हूँ। और फ़ोटो attach कर दें।

8 बकाया ऋण और देनदारियों को वसीयत बनाते समय स्पष्ट करना चाहिए। किसी भी बकाया, देनदारियों को आपको स्पष्ट रुप से लाभार्थियों को संपत्ति के वितरण से पहले संपत्ति से मिलने वाली देनदारियों को चुकाने के लिए लिखा जाना चाहिए।

9. उम्र यदि 50 साल से अधिक है तो वसीयत  के साथ अपना हेल्थ सटिफिकेट attach करें । यह किसी doctor ( संभव हो तो CMO -चीफ मेडिकल ऑफिसर से ) से बनवाकर अटैच कर सकते है। सर्टिफिकेट इस बात का प्रमाण होगा कि आप दिमागी तौर पर स्वस्थ है और आपने जो लिखा है उसे समझने में सक्षम है। अब कोई भी वसीयत को इस आधार पर चुनौती नहीं दे सकता है की वसीयतकर्ता मेडिकल रूप से फिट नही है।

10 निष्पक्ष गवाह चुने

गवाह ऐसा चुने जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो और उम्र में  आपसे छोटे हो । अपने वारिशों को कभी भी गवाह न बनाये,  क्योंकि इससे conflict of interest होगा और वसीयत शून्य (null and void ) घोषित कर दिया जाएगा।

11 आप संयुक्त खाता का वसीयत आप नहीं बना सकते हैं । जैसे  जॉइंट प्रॉपर्टी में पति और पत्नी दोनों हैं  तो 50% यदि पति का शेयर है तो 50%  का ही वसीयत बनाया जा सकता है। यदि आप संपत्ति में संयुक्त साझेदार है तो केवल विभाजित  हिस्सा या ऐसी संपत्ति में ब्याज का ही वसीयत किया जा सकती है। आप संयुक्त वसीयत नहीं बना सकते है।  पति और पत्नी  के नाम जॉइंट प्रॉपर्टी होने पर  भी पति और पत्नी दोनों को अलग-अलग वसीयत बनानी पड़ेगी । वसीयत हमेशा आपके द्वारा अर्जित संपत्ति की ही बनाई जा सकती है।

12 जो सम्पति  वसीयत में लिखने में छूट गया है, उसे किसको देना चाहते है  यह भी स्पष्ट कर देना चाहिए। इस लाभार्थी का भी आपसे रिश्ता और पहचान संबंधी प्रमाण देना चाहिए। इसे अवशिष्टीये वसियतदार (residuary legetee) कहते है।

13 सामान्यतया  वसीयत को बैंक लॉकर में रखा जाता है या फिर रजिस्ट्रार के ऑफिस में एक सीलबंद लिफाफे  में डालकर, लिफाफे के ऊपर किन-किन लोगों के सामने इसे खोला जाएगा आप लिख सकते हैं। वसीयत  किसी लाभार्थी के पास भी रख सकते है जो आपके निधन के बाद इसे खोले। आदर्श स्थिति में किसी वक़ील के पास वसीयत  रखे, जो आप के बाद इसे पढ़कर सुनाये। भारतीय पंजीकरण अधिनियम  के तहत वसीयत की सुरक्षा का प्रावधान है, इसके अंतर्गत सीलबंद कवर के साथ लिफाफे के ऊपर वसीयतकर्ता का नाम लिखकर किसी  रजिस्ट्रार के पास रखवाया जा सकता है ताकि वसीयत के साथ छेड़छाड़ न हो सके, उसे नष्ट , खोया, या चोरी न किया जा सके ।

14 आप किसी न किसी को जरूर बता दें कि आपने वसीयत बनाया है। यह हो सकता है कि वसीयत की एक-एक  कॉपी सभी लाभार्थियों को सीलबंद लिफाफे में दे दिया जाये। लेकिन इससे आपस में झगड़ा न हो इसके लिए आश्वस्त हो लें, और इसे आपकी मृत्यु के बाद ही इसे खोला जाये। कई मामलों में लाभार्थियों को पता ही नही होता है कि वसीयत बनाया गया है और 7-8 साल बीत  जाने के बाद  पता चलता है कि वसीयतकर्ता ने आपके नाम पर कुछ छोड़ा है।

15 यदि कोई लाभार्थी अवयस्क है तो  उसका संरक्षक भी नामंकित करें , क्योंकि 18 साल होने पर  ही वह  वसीयत में सम्पति प्राप्त करेगा।

16 वसीयत आपका दस्तावेज है आप कितने बार भी इसे बना सकते हैं और जब भी नयी वसीयत बनाये पुराने वसीयत  को  नष्ट कर दे। यह मतलब नहीं रखता है कि आप वसीयत  को रजिस्टर कराये हैं या नहीं जो भी आपका अंतिम वसीयत  होगा वही मान्य होगा चाहे वह रजिस्टर्ड है  या नहीं।

17 वसीयत यदि खो जाए तो फेरबदल के साथ नया वसीयत बनाना चाहिए । इसकी सूचना पुलिस को भी देनी चाहिए।

18 वसीयत बनाने के बाद यदि कोई सम्पति की अर्जित की गई है या खरीदी जा रही है या कोई फेरबदल हुआ है तो नया वसीयत बनाना चाहिए। कोडपत्र (codicil) भी बनाया जा सकता है।

19 यदि वसीयत की एक कॉपी रजिस्टर के पास है और आपके पास जो कॉपी है उसे आप  जला देते है या नष्ट कर देते है तो रजिस्टर के पास रखा गया वसीयत की कॉपी भी शून्य यानी void  माना जाएगा।

20 वसीयत का रद्द किया जा सकता है। यह स्वैच्छिक और अनैच्छिक हो सकता है। स्वैच्छिक  का मतलब है कि आप कभी भी अपनी वसीयत को रद्द कर सकते है। आप अपने जीवनकाल में कभी भी यहाँ तक कि मृत्युशय्या में भी वसीयत बदल सकते है या रद्द कर सकते है। और अनैच्छिक का मतलब है कि जब कानून के अंतर्गत आपका वसीयत रद्द होता है।

21 वसीयत में प्रॉपर्टी यदि पत्नी के नाम की जा रही है तो इसे बिना शर्त के होना चाहिए ।

प्रायः  देखा जाता है कि पति वसीयत  में शर्त रखते हैं कि पत्नी के जीवन काल तक सारी संपत्ति पत्नी के पास रहेगी और उसके बाद सारी संपत्ति बच्चों को हस्तांतरित हो जाएगी ऐसा नहीं करना चाहिए। कई मामलो  में बच्चों ने मां को ओल्ड ऐज होम में डाल दिया है उनकी हत्या हुई  है ,बच्चे आपस में लड़ते हैं और बच्चे ही प्रॉपर्टी का  उपभोग  करते हैं मां नहीं। इसलिए प्रॉपर्टी पत्नी को पूरा देना   चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *