इस article में Bailable offence (जमानतीय अपराध), Non bailable offence (अजमानतीय अपराध), Anticipatory bail और undertrails के संबंध में bail के नियमों के बारें में बताया गया है।

Bail क्या है?
Bail या ज़मानत को law में कहीं define नहीं किया गया है। यदि सरल भाषा में देखा जाए तो जमानत एक security है। मतलब, कि आज आपको कोर्ट से छोड़ दिया जा रहा है, लेकिन जब भी कोई date आएगा तो कोर्ट के सामने आपको हाज़िर होना पड़ेगा।
भारतीय संविधान के अंतर्गत हम सभी को मौलिक अधिकार दिए गए हैं और सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, आपके आज़ाद रहने का अधिकार( Article 21) हैं।
यानी आपको विधि के स्थापित नियमों के विरूद्ध जाकर arrest नहीं किया जा सकता है।
जब आपको किसी मामले में jail में डाल दिया जाता है तो आपके सारे अधिकार समाप्त नहीं होते है। यदि आपके ऊपर आरोप है तो पुलिस आपको jail में डाल सकती है, लेकिन आप कोर्ट के पास जा सकते हैं और Bail के लिए apply कर सकते हैं।
Code of criminal procedure (Cr.pc) में Bail के संबंध में जो कानून है उसे हम क़ानूनन चार श्रेणियों में बाँट सकते है-
- Sec 436
- Sec 437
- Sec 438
- Sec 439
Sec 436
Bailable offence या जमानतीय अपराध के संबंध में Bail के नियम को बताता है।
Sec 437,439
Non bailable offence के संबंध में Bail के नियम को बताता है।
Sec 438
Anticipatory bail के सम्बंध में Bail के नियम को बताता है।
Bailable offences के मामले में जमानत
Baiable offence , कम गंभीर अपराध है, जैसे- किसी को साधारण चोट पहुँचाना। ऐसे अपराधों के आरोपियों को as a matter of right जमानत पर छूटने का अधिकार है।
यदि आपके ऊपर लगाए गए अपराध ज़मानतीय श्रेणी के हैं, तो आप court में Bail के लिए apply कर सकते हैं और कोर्ट की यह ज़िम्मेदारी होगी कि आपको bail दें और court bail देने से इंकार भी नहीं कर सकता। इसमें कोर्ट अपने विवेकाधिकार (discretion) का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।
Non bailable offences के मामले में जमानत
Non bailable offences गंभीर अपराध होते है,जैसे-murder ,rape आदि।
ऐसे अपराधों के मामलों में अपराधी को सीधे bail नहीं मिलता, बल्कि यह court के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है, कि वह bail दें या न दें।
यदि आपके FIR या complain में non bailable offence के sections हैं, तो आप as a matter of right bail claim नहीं कर सकते हैं।
यहां कोर्ट facts of case के basis पर और अपने discretion का प्रयोग करते हुए आपको bail देता है।
Sec 437,439 में अंतर
Sec 437 के अंतर्गत आप lower court में Bail application फाइल करते हैं।
Sec 439 बड़े court जैसे session court और High court के लिए हैं ,जहां Bail application फाइल करते हैं।
जब bail application बड़े कोर्ट में फाइल किया जाता है और यदि वह reject हो जाता है तो lower court से bail मिलना relatively कठिन हो जाता है। इसलिए वकील सबसे पहले lower court में bail application लगाते है और यदि वहां से bail applicaton reject हो जाता है तो higher court में bail application लगाते है।
भारत में Bail ,जमानतीय अपराध के मामले में एक अधिकार है।
जबकि, अजमानतीय अपराध के मामले में भी court अपने discretionary power के आधार पर आपको bail दे देती है। जैसे- यदि आपका पूर्व में कोई criminal record नहीं रहा हो, आप good character के है,आदि।
लेकिन, court के Discretion का मतलब नहीं है कि वह अपने Discretion को किसी भी तरह use कर सकता है। इसके पीछे भी certain setteled principal of law है, जिसे court को follow करना होता है।
- प्रथम दृष्टया आपने अपराध किया या नहीं किया है।
- आप पर जो आरोप लगे वो कितने संगीन है उसके लिए क्या punishment है।
- क्या संभावना है कि यदि bail पर आपको छोड़ दिया जाता है तो क्या आप evidence या wittnesses के साथ छेड़छाड़ कर सकते है।
- क्या आप देश छोड़कर जा सकते हैं या बाहर विदेश भाग सकते हैं।
- Court का मुख्य concern होता है कि trial में कोई दिक्कत न हो। यदि court को लगता है कि जमानत देने के बाद आप कोर्ट के सामने हाज़िर नहीं होंगे तो वह जमानत नहीं देगा।
- Court आपके पहले का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड भी देखता है। आप क्या काम करते हैं। क्या पहले भी जेल जा चुके हैं। आदि आदि आधार पर bail देने या नहीं देने के संबंध पर विचार करता है।
- Court conditional bail भी दे सकता है।
- Court security भी मांग सकता है या समाज के प्रतिष्ठित लोग से आपके बारे में पूछ सकता है।
एक बार जमानत मिल गई तो इसका मतलब यह नहीं कि आप आज़ाद हैं। यदि court को लगता है कि आप साक्ष्य या गवाहों को प्रभावित कर सकते है या भाग सकते है तो आपको custody (अभिरक्षा) में फिर से लिया जा सकता है।
Anticipatory bail
Sec 438 anticipatory bail के बारें में बात करता है।
यदि आपको लगता है कि किसी ऐसे मामले में आपको कोई फंसा सकता है,और जो अजमानतीय है, और Police आपको पकड़कर jail में डाल सकती है, तो आप court के सामने Anticipatory bail के लिए apply कर सकते है।
Undertrial के मामले में जमानत
Sec 436A यह एक नया section 2005 में जोड़ा गया है।
ये undertrail के लिए है, यानि जिन्हें पकड़कर jail में डाल तो दिया गया है, लेकिन, उनकी सुनवाई यानि trial पूरी नहीं हुई है।
ऐसे मामले में यदि आरोपी को जिस अपराध के लिए जेल में डाला गया है, उस अपराध के लिए जितनी सजा दी जा सकती है, उसका आधा या आधे से अधिक यदि उसने पूरा कर लिया है, तो आरोपी अपनी रिहाई के लिए court में apply कर सकते है।
इसे एक example से समझते है-
A पर चोरी का आरोप है, और वह जेल में 18 माह से अधिक समय से है,और उसकी सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है ,जबकि चोरी के लिए अधिकतम सजा 36 माह या 3 वर्ष की है। ऐसे में A को जमानत पर छोड़ दिया जाएगा।
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और, अंत में इस article को पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !