शपथपत्र या ऐफिडेविट हलफनामा इस शब्द से हम सभी परिचित हैं। चाहे जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना हो, टेलीफोन का कनेक्शन लेना हो, जमीन का विक्रय करना हो या कोर्ट में कोई एप्लीकेशन देना हो, सभी जगह ऐफिडेविट की मांग की जाती है।
ऐफिडेविट क्या है
हमारे समाज में यह माना जाता है कि जो बातें आप सौगंध/प्रतिज्ञा लेकर कह रहे है वह सच होगा। ऐफिडेविट एक तरह का सौगंध है, जिसमें आप लिखित में किसी तथ्य या कथन को शपथ या सौगंध लेकर कहते है।
ऐफिडेविट में आप शपथ लेकर बयान देते है और कहते है कि आप जो कुछ भी कह रहे है वह सच है। इसके बाद आप साइन करते है और फिर इस बयान को ओथ कमिश्नर या नोटरी पब्लिक या मजिस्ट्रेट अटेस्टेड करता है।
ओथ एक्ट 1969 के अनुसार माना जाता है कि जो भी बयान ऐफिडेविट में दिया जा रहा है, वह सही है।
शपथ किसके सामने लिया जाता है
कानूनी रूप से ऐफिडेविट मजिस्ट्रेट, नोटरी पब्लिक,या ओथ कमिश्नर के पास लिया जाता है।
ऐफिडेविट कैसें तैयार करें
आप यह शपथपत्र कचहरी से या ऑनलाइन के माध्यम से भी बनवा सकते है|
आपको ऐफिडेविट बनवाने के लिए अपने क्षेत्र की कचहरी या अदालत में जाना होगा और वहां पर किसी वकील के माध्यम से एक ऐफिडेविट बनवाना होगा, और उसके बाद ऐफिडेविट अधिकारी जैसें मजिस्ट्रेट,ओथ कमिश्नर नोटरी पब्लिक से सत्यापित कराना होगा। इसके बाद ही आप उस ऐफिडेविट का उपयोग कहीं पर भी कर सकते हैं।
यह इसपर भी निर्भर करता है कि किस काम के लिए ऐफिडेविट या ऐफिडेविट तैयार किया जा रहा है।
यदि किसी कानूनी या कोर्ट वर्क के लिए ऐफिडेविट तैयार किया जा रहा है तो सबसे पहले लीगल पेपर पर लिखते है और नोटरी पब्लिक या ओथ कमिश्नर के सामने आप साइन करते हैं, फिर नोटरी पब्लिक/ओथ कमिश्नर इस बात को सत्यापित करता है कि आपने उनके सामने ऐफिडेविट/शपथ लेकर कथन किया है।
लेकिन,जब किसी गवर्मेंट डिपार्टमेंट में ऐफिडेविट दिया जाना हो तो आपको स्टाम्प पेपर में ऐफिडेविट करना होता है। प्रायः 10,20 या 100 रुपये के स्टांप पेपर पर ऐफिडेविट बनाया जाता है।(यह हर राज्य में अलग अलग है) इस तरह का ऐफिडेविट नोटरी पब्लिक या मजिस्ट्रेट के सामने सत्यापित करा लिया जाता है।
Note: ओथ कमिश्नर के सामने सिर्फ कोर्ट प्रोसीडिंग्स से जुड़े हुए शपतपत्र ही सत्यापित किए जाते हैं।
क्यों जरूरी है ऐफिडेविट
जब कोई ऐफिडेविट करता है तो खुद को सबसे पहले सच बोलने के लिए बाध्य करता है फिर अपनी बातों को लिखता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है।
ओथ एक्ट 1969 के तहत माना जाता है कि जो भी बयान ऐफिडेविट में दिया जाता है वह सच होता है।
ऐफिडेविट का इस्तेमाल कोर्ट के अलावा अर्द्धन्यायिक संस्था (कमीशन आदि) या दूसरी अथॉरिटी के सामने भी किया जा सकता है।
ऐफिडेविट की भाषा
ऐफिडेविट को अंग्रेजी, हिन्दी या अपने राज्य की भाषा में बनवाया जा सकता है। लेकिन उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में शपथ को अंग्रेजी की भाषा में ही दिया जाता है।
ऐफिडेविट बनाने में आने वाला खर्च
राज्यों का अपना – अपना अलग स्टाम्प डयूटी अधिनियम होता है। इसलिए राज्यों में एक समान स्टाम्प फीस नहीं होती है।
ऐफिडेविट के लिए सामान्यतः 10 रुपये से लेकर 100 रुपए के स्टांप पेपर पर शपथपत्र तैयार किया जाता है। इसमें वकील की fee, टाइपिंग का खर्च अलग से लगता है।
झूठा ऐफिडेविट करने में कितनी सजा हो सकती है
- ऐफिडेविट के बारे में यह माना जाता है, कि उसकी भाषा पूरी तरह से सही होती है। यदि आप झूठा ऐफिडेविट करते हैं तो आप जेल जा सकते हैं।अगर ऐसे दस्तावेज का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए किया जाए तो जालसाजी का भी केस बन सकता है।
- यदि कोर्ट में झूठे साक्षी शपथ ले कर देते हैं तो आईपीसी की धारा 191,193 के तहत आप पर कार्रवाई हो सकती है जिसमें 3 से 7 साल तक का जेल की सजा है।
- यदि quasi judicial proceeding में आप झूठा ऐफिडेविट देते हैं तो जिस अधिकारी के ऑफिस में झूठा ऐफिडेविट दिया गया है, वह आपके विरुद्ध परिवाद दायर कर सकता है।
- यदि कोई व्यक्ति किसी और के बदले में ऐफिडेविट पर साइन कर देता है,और उस ऐफिडेविट का गलत इस्तेमाल करता है, तो ऐसा करने वाले के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 419 (पहचान बदलकर धोखा देना) का मुकदमा बन सकता है।
- ओथ एक्ट 1969 के अनुसार माना जाता है कि जो भी बयान ऐफिडेविट में दिया जा रहा है, वह सही है। यदि किसी व्यक्ति द्वारा गलत ऐफिडेविट अदालती कार्रवाई के दौरान पेश करता है तो अदालत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अदालत में झूठा सबूत/बयान पेश करने के मामले में मुकदमा चलाने का आदेश दे सकती है और उसे सजा हो सकती हैं।
ऐफिडेविट को औपचारिकता न समझें
देखा जाता है कि नोटरी पब्लिक के पास जो टाइपिस्ट होता है वह कुछ भी लिख देता हैं और आप उसपर साइन कर देते है। आपको किसी अच्छे वकील से या फिर खुद ऐफिडेविट बनाना चाहिये और उसे अच्छी तरह से पढ़ कर साइन करना चाहिये। गलत या झूठा शपथपत्र के कारण आपको जेल भी हो सकती है।
यह लेख विषय की जानकारी देने के लिए लिखी गई है। यह विधिक सलाह नहीं है। कृपया कोई निर्णय लेने से पहले अपने विधिक सलाहकार से संपर्क करें।
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