जब कोई दो लोगों के बीच होने वाले फ़ोन या इंटरनेट ( whatsapp,facebook etc ) में होने वाले बातचीत को ,उनकी सहमति के बिना, tape करता हैं, तो यह क़ानून का उल्लंघन हैं।
संविधान में तहत यह निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
हालांकि, केंद्र या राज्य सरकार किसी भी व्यक्ति के फोन को सर्विलांस में रखवा सकती है। इसकी एक निर्धारित प्रक्रिया है।
इंडियन टेलिग्राफ़ एक्ट के अनुसार,केंद्र या राज्य सरकार को फोन टैपिंग का अधिकार है।
अगर किसी सरकारी विभाग -पुलिस या आयकर या जांच एजेंसी -को लगता हैं, कि राज्य या लोकहित में,किसी की बात को गुप्त रूप से रिकॉर्ड करने की जरूरत हैं, तो इस स्थिति में कॉल रिकॉर्ड किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय के अनुसार, निजता का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत जीने के अधिकार और व्यक्तिगत अधिकार का हिस्सा है। इस कानून के मुताबिक, किसी की निजी बातचीत को रिकॉर्ड करना, निजता के मौलिक अधिकार का उल्लघंन है।
कई कानूनी मामलों में रिकॉर्ड की हुई कॉल के विवरण को पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किया गया है।
आपको जिस व्यक्ति पर शक है, उनके खिलाफ़ FIR दर्ज करा सकते हैं।
यदि किसी अधिकारी ने केंद्र या राज्य सरकार के निर्देश पर कॉल रिकॉर्ड किया है और किसी ऐसे व्यक्ति को लीक कर दिया ,जिसे नहीं करना चाहिए था, तो इंडियन टेलिग्राफ़ एक्ट के तहत आरोपी पर केस हो सकता है।