occupancy certificate

Occupancy certificate और Completion certificate है जरूरी

जब भी आप under-construction या नए प्रोजेक्ट में निवेश करते हैं, तो यह जानना जरूरी होता है OC यानी occupancy certificate और CC यानी completion certificate क्या होता है।

Completion certificate प्रोजेक्ट या बिल्डिंग के पूरा होने पर डेवलपर या बिल्डर को जारी किया जाता है।

जबकि यह जांचने के बाद की क्या बिल्डिंग सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से रहने के लायक है, बिल्डर या owner को Occupancy certificate दिया जाता है।

यानी occupancy certificate तभी जारी किया जाता है जब safty और structural norms को पूरा कर लिया जाता है।

CCऔर OC न होने से धोखे की संभावना बढ़ जाती हैं। इससे कोर्ट केस बढ़ती हैं और ऐसे प्रॉपर्टी को बाद में बेचना भी कठिन होता है। 

 

CC क्या होते है

Rera act के अनुसार completion certificate का मतलब है-

“Completion certificate  means the completion certificate, or such other certificate, by whatever name called, issued by the competent authority certifying that the real estate projects has been developed according to the sanctioned plan, layout plan and specification, as approved by the competent authority under the local laws”

जब भी कोई बिल्डर कोई प्रॉपर्टी या बिल्डिंग बनाता है, तो उसे कई तरह के बाइलॉज, सिटी मास्टर प्लान, बिल्डिंग कोड आदि का पालन करना पड़ता है।

इसी तरह से बहुत सारे रेगुलेशन होते जैसें- आग गैस, पर्यावरण के उनको भी बिल्डर को पालन करना पड़ता है।

इसके लिए local अथॉरिटी से प्लान अप्रूफ कराना होता हैं।

यह अथॉरिटी अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे किसी स्टेट में मुंसिपल कॉरपोरेशन, किसी स्टेट में टाउन एंड अर्बन प्लानिंग डिपार्टमेंट। 

किसी प्रोजेक्ट या बिल्डिंग बनाने के लिए बिल्डर को 

local authority के पास बिल्डिंग प्लान जमा करना होता है। अथॉरिटी उस प्लान को स्टडी करती है और इसपर अपना अप्रूवल देती है, Building permit के रूप में 

इसमें बिल्डर या डेवलपर को समय दिया जाता है जिस समय सीमा के अंदर उसे काम पूरा करना होता है। जैसे 3-5 साल के अंदर।

यदि इस समय के अंदर काम पूरा नहीं होता है, तो इसे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए  Revalidation certificate issue किया जाता है।

जब प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो जाता है तो Completion certificate जारी किया जाता है। इसे जारी करने से पहले ऑथिरिटी यह देखती है कि प्रोजेक्ट का निर्माण अप्रूवल प्लान के अनुसार हुआ है या नहीं। जैसें-पार्किंग,ओपन स्पेस आदि अप्रूवल प्लान के अनुसार बना है या नहीं।

यदि प्रोजेक्ट का निर्माण अप्रूवल प्लान के अनुसार नहीं हुआ है या जिसमे सुधार किया जा सकता है तो अथॉरिटी provisional certificate भी जारी कर सकती है। यह 6 महीने के लिए जारी किया जाता है। इस समय डेवलपर को approval plan के अनुसार काम करना होता है और सारे रेगुलेशन का पालन करना होता है।

Occupancy certificate

Rera act के अनुसार

“Occupancy certificate means the occupancy certificate, or such other certificate by whatever name called, issued by the competent authority permitting occupation of any building, as provided under local laws, which has provision for civic infrastructure such as water, sanitation and electricity.”

एक बार जब डेवलपर को completion certificate मिल जाता है तो फिर उसे ऑथिरिटी से occupancy certificate लेना होता है।

इसके लिए बिल्डर को कुछ documents जमा कराने होते है जैसे-

  • As built plans final built drawing 
  • fire deptt  ,AAI airport authority of india, pollution control board ,Electrical deptt से NOC लेना होता है।
  • इसी तरह से यदि आप जिस जगह रह रहे है और वहां यदि  Green building norms लागू है तो rain water harvasting  solar panal के norms के नियम का भी पालन करना होता है।
  • Labour cess receipt 
  • Tax paid receipt 

सारे दस्तावेज जमा करने के बाद अथॉरिटी Phyical Inspection करके यह देखती है कि सारे कंस्ट्रक्शन प्लान के अनुसार हुए है। सेफ्टी नॉर्म्स environmental नॉर्म्स आदि भी clear है। सारे के सारे tax और cess का भुगतान कर दिए गए है। Safe to use or occupy जैसे इसमें सभी आधारभूत सुविधा जैसे फायर, पावर, वाटर sewage गैस आदि उपलब्ध है।

सारे मानक पूरा होने के बाद होने पर डेवलपर को या फिर प्रॉपर्टी के owner को occupancy certificate दिया जाता है।

ये सर्टिफिकेट किस लिए चाहिए

यदि अथॉरिटी completion certificate इशू कर देती है लेकिन प्रोजेक्ट में अभी भी कुछ सुधार या काम करना बाकी है तो अथॉरिटी Intimation of disapproval जारी करती है। इसमें कुछ समय दिया जाता है जिस समय सीमा में correction  करना होता है।

यह जांचने के बाद कि क्या बिल्डिंग रहने के सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से लायक है, बिल्डर Occupancy certificate दिया जाता है।

Safe and legal possession तभी माना जाता है जब occupancy certificate इशू कर दिया जाता है।

OC क्यों

  1. Electricity  water  के लिए आप apply कर सकते है जब oc हो
  2. Income tax benefits भी तभी ले सकते है जब oc हो
  3. Insurance भी तभी करवा सकते है जब  oc ह
  4. यदि OC जारी नहीं किया गया है तो अथॉरिटी आपका मकान खाली कराने के लिए नोटिस जारी कर सकती है।
  5. आप property का कब्जा ले भी लें लेकिन जब आप इसे बेचने जाएंगे को हर खरीदार आपसे oc मांगेगा।

OC नहीं मिला है क्या करें

  • occupy कर लिया है आप final payment hold कर सकते है।
  • बिना cc के पजेशन न लें तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि यह वैध नहीं माना जाएगा।
  • Owners का group बना लेना चाहिए या resident welfare association  रजिस्टर्ड कर लें।
  • यदि बिल्डर या डेवलपर cc या oc के लिए नहीं apply कर रहा है तो आप सीधे local अथॉरिटी को बात कर सकते है। एक ग्रुप या resident welfare association के रूप में।
  • यदि अथॉरिटी आपको कुछ correction के लिए कहती है तो आप इसे कर सकते है जैसे कोई penalty देना बाकी है या byelaws के अनुसार कुछ ठीक करवाना है।
  • बिल्डर सहयोग नहीं कर रहा है तो आप कानूनन damage claim कर सकते है ।

आदर्श स्थिति में under construction project का Possession किस तरह से लें

  • CC मिल जाये
  • OC मिल जाये
  • इसके बाद Sale deed रजिस्टर्ड करायें।

हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न

यदि OC नहीं है तो भविष्य में दिक्कत हो सकती है?

हां, occupancy certificate एक कानूनी दस्तावेज या सर्टिफिकेट है।

  1. यदि आपके पास oc नहीं है तो लोकल अथॉरिटी आपको मकान खाली करने का नोटिस दे सकती है।
  2. यदि आप नोटिस पर मकान खाली नहीं करते है तो आपके ऊपर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस हो सकता है।
  3. कोर्ट में आपको अपने को defend करना होगा।
  4. आपको जुर्माना भी लग सकता है। और मकान भी खाली करने पड़ सकता है।

OC के विषय में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने स्पष्ट माना है कि बिना OC के मकान में रहना गैर क़ानूनी है, क्योंकि यदि कोई बिल्डिंग रहने लायक नहीं है तो कानून उसमें रहने की इजाज़त कैसें दे सकता है।

यह लेख विषय की जानकारी देने के लिए लिखी गई है। यह विधिक सलाह नहीं है। कृपया किसी निर्णय लेने से पहले अपने विधिक सलाहकार से संपर्क करें। 

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