जब भी हमें कोई कोट वर्क करना पड़ता होता है जैसे कोर्ट में केस फाइल करना या फिर कोई लीगल ट्रांजैक्शन जैसे- सेल डीड, गिफ्ट बनाना तो हमें स्टाम्प पेपर की आवश्यकता होती है। इस आर्टिकल में स्टाम्प पेपर के बारे में विस्तृत चर्चा की गई।
स्टाम्प पेपर क्या होता है
स्टाम्प पेपर एक पेपर है जिसके ऊपर सरकार का रेवेन्यू स्टांप लगा होता है जिसका एक मौद्रिक मूल्य जैसें-₹10 ₹20 या ₹50 ₹100 या 1000 इत्यादि अंकित रहता है।
स्टेट गवर्नमेंट स्टैंप पेपर जारी करती है जो जिला के ट्रेजरी से में रखा जाता है।
इसे बेचने के लिए स्टेट गवर्नमेंट वेंडर नियुक्त करती है जिसे स्टांप वेंडर कहा जाता है। आप इनसे स्टाम्प पेपर ले सकते हैं।
स्टाम्प पेपर कितने तरह के होते हैं
स्टाम्प पेपर दो तरह के होते हैं-
- Judicial stamp paper या न्यायिक स्टांप पेपर
- Non-judicial stamp paper या गैर न्यायिक स्टैंप पेपर।
ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर
जैसा की शब्दों से पता चलता है न्यायिक स्टांप पेपर कोर्ट वर्क में काम आता है। जैसे- कोर्ट केस फाइल करना।
जब भी आपको कोर्ट में कोई केस फाइल करना होता है तो कोर्ट फीस के रूप में आपको उस मूल्य का जुडिशल पेपर में केस तैयार करना होता है।
नन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर
Non-judicial कोई भी लीगल ट्रांजैक्शन जैसे- सलेडीड, गिफ्टडीड करते हैं तो स्टेट गवर्मेंट को फीस के रूप में आपको राशि देनी होती है, तो उस ट्रांजैक्शन के मूल्य का आपको स्टंप पेपर पर डाक्यूमेंट्स तैयार करना होता हैं।
जितने भी लीगल ट्रांजैक्शन होते हैं, यदि वह उस पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी के स्टांप पेपर पर नहीं तैयार किया जाता है तो वह लीगल ट्रांजैक्शन मान्य नहीं होता है।
इस तरह से सरकार के राजस्व का एक स्रोत है इस स्टाम्प पेपर।
स्टाम्प पेपर का मूल्य
अलग-अलग ट्रांजैक्शन के लिए स्टाम्प पेपर का मूल्य अलग अलग होता है। जैसे –
- एफिडेविट के लिए ₹50
- पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए ₹100
- एग्रीमेंट लिए ₹500
- पार्टनरशिप डीड के लिए ₹2000
ये सिर्फ उदाहरण है।अलग-अलग राज्यों में यह अलग-अलग हो सकता है। आजकल ई स्टाम्प पेपर भी जारी किया जाने लगा है।
स्टाम्प पेपर की वैधता
इस टाइम पेपर की वैधता के संबंध में स्टाम्प एक्ट में कुछ भी नहीं लिखा है।
यानी स्टाम्प पेपर कब तक वह मान्य होगा या वैध होगा इसके बारे में स्टैंप एक्ट में कुछ भी नहीं लिखा
स्टाम्प एक्ट के अनुसार आप स्टाम्प को खरीदने के बाद कभी भी उपयोग में ला सकते है।
साथ ही, आप चाहे तो स्टाम्प खरीदने के 6 माह के अंदर ट्रेज़री में इसे वापस करके रिफंड भी ले सकते है।
मान लेते आप मकान का डीड करने के लिए 50 हजार के मूल्य का स्टाम्प पेपर खरीदें और 6 महीनों के भीतर उसे आप वापस करके रिफंड भी नहीं किये, फिर भी आप चाहें तो इसका उपयोग कर सकते है।
स्टाम्प पेपर के बदले रिफंड लेना
स्टाम्प एक्ट के सेक्शन 54 में लिखा है कि आप यदि स्टांप पेपर खरीदें और छह महीने तक आपके पास पड़ा रह गया, तो आप ट्रेज़री में 6 महीना के भीतर वापस करके रिफंड ले सकते हैं।
रिफंड स्टाम्प के मूल्य का 10% की कटौती करके वापस कर दिया जाएगा।
6 माह के बाद आप रिफंड क्लेम नहीं कर सकते।
यह लेख विषय की जानकारी देने के लिए लिखी गई है। यह विधिक सलाह नहीं है। कृपया कोई निर्णय लेने से पहले अपने विधिक सलाहकार से संपर्क करें।
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