vakalatnama in hindi

Vakalatnama :वकालतनामा साइन करते समय बरते सावधानी वरना पड़ेगा पछताना!

जब कभी हमें अपने किसी मुकदमे की पैरवी किसी एडवोकेट से करवाना होता है, तो एडवोकेट हमसे एक दस्तावेज में साइन करवाता है, जिसको वकालतनामा कहा जाता है। इसी के आधार पर एडवोकेट हमारी पैरवी कोर्ट में करता है। लेकिन इसे साइन करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए नहीं तो बाद में दिक्कत हो सकती है।

वकालतनामा क्या है?

वकालतनामा एडवोकेट और क्लाइंट के बीच एग्रीमेंट है,जिसके आधार पर क्लाइंट किसी केस में कोर्ट में उसके बदले पैरवी के लिए एडवोकेट को प्राधिकृत करता है।

वकालतनामा देने से एडवोकेट क्लाइंट के तरफ से  केस के संबंध में ड्राफ्ट करने, कोर्ट में एप्लीकेशन देने, अपील करने, नोटिस भेजने या बहस करने के लिए सक्षम हो जाता है।

वकालतनामा क्यों जरूरी है

किसी कोर्ट में पैरवी के लिए एडवोकेट आप तभी अप्वॉइंट कर सकते हैं जब क्लाइंट का साइन किया हुआ वकालतनामा हो।

एडवोकेट भी कोर्ट में आपके तरफ से तभी लड़ सकता है, जब उसके पास एक लिखित दस्तावेज हो, जिसमें उसे उस केस के संबंध में प्राधिकृत किया गया हो।

वकालतनामा होने पर एडवोकेट के द्वारा कोर्ट में किया गया कार्य क्लाइंट पर कानूनन बाध्यकारी होता है।

 NOTE: SC ने कहा हैं कि यदि आपको कानूनी सलाह लेना है या कोई कानूनी दस्तावेज लिखवाना है या नोटिस भेजवाना है तो इसके लिए वकालतनामा की जरूरत नहीं होती।

वकालतनामा कौन साइन कर सकता है

वकालतनामा एडवोकेट और क्लाइंट के बीच एक एग्रीमेंट इसलिए जो Contract कर सकता है वह वकालतनामा पर साइन कर सकता है।

  1. जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो
  2. जो पागल या दिवालिया न हो।

वकालतनामा में क्या-क्या लिखा होता है 

वकालतनामा एक एग्रीमेंट है। इसलिए इसमें विस्तार से शर्तों को लिखा जाता है। जैसें-

  1. कोर्ट का नाम जिस पर केस चल रहा है या फ़ाइल किया जाना है।
  2.  केस का नाम वर्ष और केस नंबर
  3. पार्टी यानी क्लाइंट का नाम, पिता का नाम पता आदि
  4. एडवोकेट का नाम ,पता
  5. तय की गई फ़ीस 
  6. अब नीचे सारे अधिकार लिखे जाते है जो क्लाइंट के द्वारा एडवोकेट को दिये जा रहे है।
  7. आपका साइन होता है।

Note: वकालतनामा तभी पूरा माना जाता है जब वकालतनामा पर एडवोकेट साइन करके उसे कोर्ट पर पेश कर देता है।

वकालतनामा पर हस्ताक्षर करते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए 

  • क्लाइंट को वकालतनामा अच्छी तरह से पढ़ लेनी चाहिए।
  • सारे T&C ,शर्तों को पढ़ लेनी चाहिए।
  • फीस तय हुआ है उसे देने का तरीका क्या होगा अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। जैसें-कुछ एडवोकेट वन-टाइम फी लेते है ,कुछ सुनवाई के आधार पर और कुछ केस के आधार पर।
  • फी का पेमेंट मोड क्या होगा जैसें चेक से या कैश आदि

वकालतनामा किस तरह से रद्द किया जा सकता है

  • वकालतनामा कोट के परमिशन से समाप्त किया जा सकता है।
  • क्लाइंट या एडवोकेट के मृत्यु होने पर समाप्त किया जा सकता है।
  • जिस केस के लिए वकालतनामा दिया गया वह पूरी तरह से समाप्त हो गया।

नया वकालतनामा किस तरह लिखा जा सकता है

कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आपको कोई एडवोकेट पसंद नहीं आता है या वह आपकी पैरवी ठीक से नहीं करता तो आप एडवोकेट बदलना चाहते हैं।

इसके लिए फिर से आपको एक नया वकालतनामा एक नये एडवोकेट को देना पड़ेगा। 

लेकिन इसमें ध्यान रखने वाली बात यह है कि आपको पुराने एडवोकेट से वकालतनामा पर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना पड़ेगा।

ऐसा नहीं करने पर वह एडवोकेट अपने बकाए के लिए कोर्ट में दावा कर सकता है जिससे आपको परेशानी हो सकती है।

FAQ

क्या माइनर वकालतनामा दे सकता है?

नहीं , माइनर के तरफ से उसके guardian वकालतनामा दे सकते है।

क्या पावर ऑफ अटॉर्नी होल्डर वकालतनामा दे सकता है?

हाँ

यह लेख विषय की जानकारी देने के लिए लिखी गई है। यह विधिक सलाह नहीं है। कृपया कोई निर्णय लेने से पहले अपने विधिक सलाहकार से संपर्क करें।

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