Bailable and non bailable offence

जमानतीय और अजमानतीय अपराध क्या होता हैं ?

लोग जमानतीय (Bailable) अपराध के विषय में समझते हैं कि इस पर जमानत मिल जाता है और अजमानतीय (Non-bailable) अपराध के विषय में समझते हैं कि इस पर जमानत नहीं मिलता हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।

जमानतीय अपराध

जमानतीय अपराध कम गंभीर अपराध होते हैं जैसे- किसी को साधारण चोट पहुंचाना, जबकि अजमानतीय अपराध गंभीर अपराध होते हैं, जैसे मर्डर, रेप
जमानतीय अपराध में यदि किसी को बिना वारंट के अरेस्ट किया गया है और वह निर्धारित राशि का जमानत देने को तैयार है, तो उसे bail पर छोड़ा जाता है यानी जमानतीय अपराध के मामले में accused as a matter of Right bail claim करता हैं।
जमानतीय अपराध में ऐसे अपराध आते हैं, जिसमें 3 साल से कम की सजा का प्रावधान भारतीय दंड संहिता या अन्य केंद्रीय या राज्य कानूनों में होते हैं।

अजमानतीय अपराध

अजमानतीय अपराध गंभीर प्रकृति का अपराध है, जैसे- मर्डर,रेप आदि।
और इसमें कोर्ट का विवेकाधिकार है कि वह अभियुक्त को जमानत दे या न दे। कोर्ट परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त को जमानत पर छोड़ सकता हैं।
इस प्रकार अजमानतीय अपराध के मामले में accused as a matter of Right bail claim नहीं कर सकता। और यह judicial discretion का मामला होता है।
इसमें ऐसे अपराध आते हैं जिसमें भारतीय दंड संहिता और अन्य केंद्रीय या राज्य कानूनों में 3 साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान हैं।
अजमानतीय अपराध के मामले में अभियुक्त अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दे सकता है।

कौन अपराध जमानतीय होंगे और कौन अजमानतीय

यह crpc के schedule 1 में दिया है। इसमें पूरी सूची हैं।

इसी तरह से केंद्रीय या राज्य कानून में भी अपराध जमानतीय होंगे या अजमानतीय, उल्लेख रहता है।जैसे भारतीय दंड संहिता की धारा 379 के अंतर्गत चोरी एक अजमानतीय अपराध हैं।
इसी तरह से जूविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चों को खतरनाक काम में लगाना एक जमानतीय अपराध हैं।

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